Monday, February 7, 2011

चैक ट्रंकेशन


चैक ट्रंकेशन


हम सब जानते हैं कि समय के साथ साथ बैंकिं्रग का स्वरूप भी बदलता जा रहा है। उदारीकरण तथा भूमंडलीकरण ने बैंकिंग के प्रक्रियागत स्वरूप व बैंकिंग संकल्पना को एक नया मोड प्रदान किया और नित्य परिवर्तनशील सूचना व प्रौद्योगिकी ने तो बैंकिंग की मूल अवधारणा, उसकी परंपरागत सोच और उसकी क्रियाविधि में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है।

इसी संदर्भ में चैक ट्रंकेशन प्रणाली बैंकिंग का एक अद्यतन विषय है। निकट भविष्य में भारतीय बैंकिंग उ़द्य़ोग में समाशोधन के संबंध में चैक ट्रंकेशन प्रणाली का बहुत अधिक महत्व होनेवाला है। बैंकिंग के इस नए आयाम के बारे में आम तौर पर यही कहा जा सकता है कि इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य चैक के आहरणकर्ता द्वारा जारी किया गया भौतिक चैक आहरिती शाखा को भेज दिए जाने की प्रक्रिया को समाप्त करना है। इसके कारण चैक का समाशोधन एक ही दिन में संभव होगा। चैको के समाशोधन व निपटान के लिए बैंकों द्वारा कागजी चैक नहीं किंतु उनकी प्रतिकृति ;इमेजद्ध भेजी जाएगी।

चैक ट्रंकेशन एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिस में किसी बैंक में या बैंकों के बीच या बैंकों और समाशोधन गृह के बीच चैकों का भौतिक चलन कम किया जाता है या बंद किया जाता है तथा आगे के संसाधन और प्रसारण के लिए उन्हें उनकी विषयवस्तु को पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से प्रतिस्थापित किया जाता है। अतः चैक ट्रंकेशन का मतलब यही है कि चैकों को उनके भुगतान के लिए एक बैंक से दूसरे बैंक में भौतिक रूप से भेजने के बदले अब सिर्फ उनकी प्रतिकृतियां संगत सूचना के साथ भेजी जाएंगी। इससे चैक संसाधन में अपेक्षित समय कम हो जाएगा, जब कि परंपरागत समाशोधन प्रणाली में इसके लिए 2 या 3 दिन लग जाते हैं। कुछ मामलों में तो स्थानीय चैको को छोड कर बाहरी चैको के लिए तो एक सप्ताह या उससे अधिक समय भी लगता है।

उदाहरण के लिए यदि इंडियन बैंक की मैलापूर शाखा में आप का एक बचत बैंक खांता है और आप को अपने दोस्त से केनरा बैंक का एक चैक प्राप्त हुआ है। अपने दोस्त द्वारा दिए गए चैक को आपने इंडियन बैंक की मैलापूर शाखा के अपने खाते में जमा किया है। इंडियन बैंक की मैलापूर शाखा अपनी तरफ से समाशोधन की प्रक्रिया में चैक का ट्रंकेशन करेगी। अपने दोस्त से प्राप्त केनरा बैंक का चैक इंडियन बैंक की मैलापूर शाखा में ही रहेगा। इंडियन बैंक की मैलापूर शाखा आप के चैक की प्रतिकृति लेगा और अपनी सेवा शाखा या समाशोधन गृह के जरिए अन्य संगत विवरण के साथ उसको भारतीय रिजर्व बैंक को भेजेगी। भारतीय रिजर्व बैंक केनरा बैंक से राशि वसूल करेगा और इंडियन बैंक को भेजेगा। अंत में चैक की राशि आपके खाते में जमा की जाएगी।

इससे बैंको के चल निधि समय में कमी तो जरूर होगी, लेकिन बैंको के लिए इससे बहुत फायदे होंगे। बैंको की चैक समाशोधन प्रणाली में काफी दक्षता हासिल की जाएगी व इस से संबंधित कार्य समय कम हो जाएगा। चैक ट्रंकेशन के कारण ग्राहक सेवा में वृद्धि होगी, चैकों की वसूली लागत में कमी होगी,, लेखा समाधान समस्या कम हो जाएगी तथा लाजिस्टिक्स की समस्या दूर होगी,। इस के कारण समाशोधन प्रणाली से संबंधित धोखेबाजी को भी कम किया जा सकता है। सेवा शाखा में या इन क्रियाकलापों को चलाने वाले स्टाफ की अपेक्षित संख्या कम हो जाएगी। इस प्रक्रिया में आटोमेशन या स्वचालन के कारण बैंक के लिए परिचालन लागत भी कम होगी।

भारत में चैक ट्रंकेशन एक अनोखा प्रयोग होगा, क्यों कि यहां चैकों का परिमाण बहुत अधिक होता है। वार्षिक तौर पर देश में 1़ण्2 बिलियन लिखतांे का संसाधन होता है। भविष्य में बडी कंपनियां और सरकारी अभिकरण जो बडी संख्या में चैकों में लेनदेन करते हैं, अपने बैंकों से एक गठबंधन कर सकते हैं तथा भौतिक चैंकों को भजने के बजाए, वे संबंधित शाखा को स्कैन की गई प्रतिकृतियां भेज सकते हैं, जो उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक को उनके निपटान के लिए अग्रेषित करेंगे।

इसके अलावा, एटीएमों में भी चैक ट्रंकेशन किया जा सकता है। ग्राहक मशीन में चैक रख कर उसकी प्रतिकृति भेज सकता है। चैक को समाशोधन व निपटान के लिए संबंधित सेवा शाखा को भेज दिया जाएगा और ग्राहक को इसकी रसीद प्राप्त होगी।

भारतीय रिजर्व बैंक ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पाइलट आधार पर इसे आरंभ किया है। उन्होंने चैक ट्रंकेशन प्रणाली की सफलता को देखते हुए देश के अन्य केन्द्रों में इसका विस्तार करने का निर्णय किया है। वर्तमान के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 70 प्रतिशत चैकों का समाशोधन चैक ट्रंकेशन प्रणाली के जरिए किया जा रहा है। आगे चेन्नै में चैक ट्रंकेशन प्रणाली का कार्यान्वयन आरंभ होनेवाला है।

आशा है कि निकट भविष्य में भारत के सभी स्थानों में चैक ट्रंकेशन प्रणाली का कार्यान्वयन किया जाएगा तथा बैंक व बैंक ग्राहक इसका भरपूर लाभ उठाएंगे।

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